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धर्म एवं दर्शन >> आचार्य श्रीराम शर्मा

गायत्री और यज्ञोपवीत

श्रीराम शर्मा आचार्य

यज्ञोपवीत का भारतीय धर्म में सर्वोपरि स्थान है।

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क्या धर्म क्या अधर्म

श्रीराम शर्मा आचार्य

धर्म और अधर्म का प्रश्न बड़ा पेचीदा है। जिस बात को एक समुदाय धर्म मानता है, दूसरा समुदाय उसे अधर्म घोषित करता है।

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हारिए न हिम्मत

श्रीराम शर्मा आचार्य

प्रस्तुत पुस्तक में आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने लोगों को जीवन की कठिन परिस्थितियों में किस प्रकार के आचार-विचार की आवश्यकता है, इसे एक माह की डायरी के रूप में बताया है।

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कामना और वासना की मर्यादा

श्रीराम शर्मा आचार्य

कामना एवं वासना को साधारणतया बुरे अर्थों में लिया जाता है और इन्हें त्याज्य माना जाता है। किंतु यह ध्यान रखने योग्य बात है कि इनका विकृत रूप ही त्याज्य है।

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मनःस्थिति बदलें तो परिस्थिति बदले

श्रीराम शर्मा आचार्य

समय सदा एक जैसा नहीं रहता। वह बदलता एवं आगे बढ़ता जाता है, तो उसके अनुसार नए नियम-निर्धारण भी करने पड़ते हैं।

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संतुलित जीवन के व्यावहारिक सूत्र

श्रीराम शर्मा आचार्य

मन को संतुलित रखकर प्रसन्नता भरा जीवन जीने के व्यावहारिक सूत्रों को इस पुस्तक में सँजोया गया है

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उन्नति के तीन गुण-चार चरण

श्रीराम शर्मा आचार्य

समस्त कठिनाइयों का एक ही उद्गम है – मानवीय दुर्बुद्धि। जिस उपाय से दुर्बुद्धि को हटाकर सदबुद्धि स्थापित की जा सके, वही मानव कल्याण का, विश्वशांति का मार्ग हो सकता है।

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वर्तमान चुनौतियाँ और युवावर्ग

श्रीराम शर्मा आचार्य

मेरी समस्त भावी आशा उन युवकों में केंद्रित है, जो चरित्रवान हों, बुद्धिमान हों, लोकसेवा हेतु सर्वस्वत्यागी और आज्ञापालक हों, जो मेरे विचारों को क्रियान्वित करने के लिए और इस प्रकार अपने तथा देश के व्यापक कल्याण के हेतु अपने प्राणों का उत्सर्ग कर सकें।

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प्रेमचन्द की कहानियाँ 4

प्रेमचंद

प्रेमचन्द की सदाबहार कहानियाँ का चौथा भाग

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